महाभारत भाग 1 : परिचय और महत्व – सम्पूर्ण कथा की शुरुआत
महाभारत क्या है?
महाभारत केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह इतिहास है। इसे “पंचम वेद” कहा जाता है। महर्षि वेदव्यास ने इसकी रचना की थी।
यह दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य है, जिसमें लगभग 1,00,000 श्लोक (18 पर्व और 100 उपपर्व) शामिल हैं।
महाभारत केवल युद्ध की गाथा नहीं, बल्कि –
- धर्म और अधर्म का अंतर,
- राजनीति और नीति का ज्ञान,
- प्रेम और त्याग,
- लोभ और ईर्ष्या,
- और सत्य की विजय – इन सबका अद्भुत संग्रह है।
महाभारत की संरचना
महाभारत 18 पर्वों में बँटा हुआ है:
- आदिपर्व
- सभापर्व
- वनपर्व
- विराटपर्व
- उद्योगपर्व
- भीष्मपर्व
- द्रोणपर्व
- कर्णपर्व
- शल्यपर्व
- सौप्तिकपर्व
- स्त्रीपर्व
- शांतिपर्व
- अनुशासनपर्व
- अश्वमेधिकपर्व
- आश्रमवासिकपर्व
- मौसलपर्व
- महाप्रस्थानिकपर्व
- स्वर्गारोहणपर्व
हर पर्व में अलग-अलग घटनाएँ और जीवन की गहरी शिक्षाएँ छिपी हुई हैं।
महाभारत का मूल संदेश
महाभारत हमें यह सिखाता है कि –
- धर्म की विजय निश्चित है, चाहे देर से हो।
- लोभ, क्रोध और अहंकार का अंत निश्चित है।
- अन्याय और अधर्म का साम्राज्य कभी स्थायी नहीं होता।
- धर्म का पालन करना कठिन है, परंतु अंततः वही फलदायी होता है।
श्रीमद्भगवद्गीता – आत्मा का विज्ञान
महाभारत का सबसे अमूल्य रत्न है श्रीमद्भगवद्गीता।
जब अर्जुन युद्धभूमि में मोहग्रस्त हो गए, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया।
गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने का विज्ञान है।
आज भी गीता को पूरी दुनिया में “Universal Life Manual” माना जाता है।
महाभारत क्यों पढ़ें?
- इसमें राजनीति और नीति का गहन ज्ञान है।
- इसमें मानव स्वभाव का अद्भुत चित्रण है।
- इसमें धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा का भंडार है।
- यह हमें सिखाता है कि जीवन में धर्म ही सबसे बड़ा बल है।
निष्कर्ष
महाभारत केवल भारत का नहीं, पूरे विश्व का अद्भुत ग्रंथ है।
यह हमें सिखाता है कि –
👉 “धर्म ही शाश्वत है, और धर्म ही अंततः विजय दिलाता है।”
✅ अगला भाग (भाग 2) : राजा शांतनु और गंगा की कथा – भीष्म पितामह का जन्म