दुर्योधन की अंतिम घड़ियाँ

दुर्योधन जंघा टूटने के बाद मृत्युशय्या पर पड़ा था।
वह अत्यंत पीड़ा में था और जानता था कि अब कौरवों की हार निश्चित है।
अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा उसके पास पहुँचे और प्रतिज्ञा ली कि वे उसका प्रतिशोध लेंगे।


अश्वत्थामा का क्रोध

अभिमन्यु की मृत्यु और द्रोणाचार्य की हत्या से पहले ही अश्वत्थामा क्रोध से भरा हुआ था।
दुर्योधन की दुर्दशा देखकर उसने शपथ ली –
👉 “आज मैं पांडवों की संपूर्ण वंश परंपरा समाप्त कर दूँगा।”


उपपांडवों की हत्या

रात के समय अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा चुपके से पांडवों के शिविर में घुस गए।
वहाँ उन्होंने पांडवों के पाँच पुत्रों (द्रौपदी से उत्पन्न) –

  • प्रतिविंध्य,
  • सुतसोम,
  • श्रुतकीर्ति,
  • शतानिक,
  • श्रुतसेन –

को सोते समय ही मार डाला।
👉 इस प्रकार उपपांडवों की नृशंस हत्या हुई।


द्रौपदी का विलाप

प्रातः जब द्रौपदी को यह समाचार मिला, तो वह शोक और पीड़ा से चीत्कार करने लगीं।
उन्होंने कहा –
👉 “मेरे हृदय का सहारा छिन गया, मेरे पुत्र मारे गए।”

उन्होंने पांडवों से प्रतिज्ञा ली कि अश्वत्थामा को अवश्य दंडित किया जाए।


अश्वत्थामा का ब्रह्मास्त्र

अश्वत्थामा ने पांडवों का सामना किया और क्रोध में आकर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया।
अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र चलाया।
दोनों ब्रह्मास्त्रों के टकराने से संपूर्ण पृथ्वी नष्ट होने की स्थिति आ गई।

ऋषि व्यास और नारद ने हस्तक्षेप किया और दोनों से ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा।
अर्जुन ने आज्ञा मानकर अपना अस्त्र वापस ले लिया, लेकिन अश्वत्थामा ने इसे द्रौपदी के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु के पुत्र (परीक्षित) की ओर मोड़ दिया।


श्रीकृष्ण की कृपा

श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य सामर्थ्य से द्रौपदी के गर्भ की रक्षा की।
👉 इसी बालक परीक्षित ने आगे चलकर पांडव वंश को आगे बढ़ाया।


निष्कर्ष

अश्वत्थामा का प्रतिशोध महाभारत युद्ध के बाद का सबसे भयावह प्रसंग था।
👉 उसने पांडव वंश समाप्त करने की चेष्टा की, लेकिन श्रीकृष्ण की कृपा से परीक्षित जीवित रहे और भविष्य में हस्तिनापुर के राजा बने।


पिछला भाग (भाग 19) : शल्य पर्व – दुर्योधन का वध
अगला भाग (भाग 21) : पांडवों का राज्याभिषेक और शांतिपर्व


🔹 SEO Pack (भाग 20)

Title:
Mahabharat Part 20: Ashwatthama ka Pratishodh – Up-Pandavon ki Hatya (महाभारत भाग 20)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *