NCRB डेटा के आधार पर वर्षवार व राज्यवार आँकड़े, कारण और रुझान

भारत एक कृषि प्रधान देश है। लगभग 55% से अधिक आबादी आज भी सीधे या परोक्ष रूप से खेती पर निर्भर है। लेकिन इसी कृषि क्षेत्र में बीते दो दशकों से एक गहरी सामाजिक-आर्थिक त्रासदी चल रही है — किसानों और कृषि मज़दूरों की आत्महत्या।

NCRB (National Crime Records Bureau) की रिपोर्टों के अनुसार, 2001 से लेकर 2023 तक लाखों किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें ज़्यादातर मामले आर्थिक संकट, कर्ज, फसल विफलता, मौसम और मानसिक तनाव से जुड़े पाए गए हैं।

इस लेख में हम आपको देंगे:

  • ✅ 2001–2023 तक का साल-दर-साल NCRB डेटा
  • 📍 राज्यवार स्थिति
  • 📊 रुझान और प्रमुख कारण
  • ❓ FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
  • 📝 गहन विश्लेषण ताकि आप इस मुद्दे को सतही नहीं, गहराई से समझ सकें

📊 2001–2023 वर्षवार किसान आत्महत्या का पूरा टेबल

2001–2013 के बीच केवल “किसान (cultivators)” का डेटा है।
2014 से NCRB ने “कृषि मज़दूर (agri labourers)” को भी अलग श्रेणी में दिखाना शुरू किया।

वर्षकिसान (Cultivators)कृषि मज़दूर (Agri Labourers)कुल (कृषि क्षेत्र)टिप्पणी
200116,015NCRB
200217,971NCRB
200317,164NCRB
200418,241उच्चतम रिकॉर्ड
200517,131
200617,060
200716,632
200816,796
200917,368
201015,964गिरावट की शुरुआत
201114,027
201213,755
201311,772
20145,6506,71012,360पहली बार कृषि मज़दूर शामिल
20158,0074,59512,60242% वृद्धि (2014 की तुलना में)
20166,270*5,109*11,379डेटा विभाजन अनुमानित
20175,9554,70010,655गिरावट का दौर
20185,7634,58610,349
20195,9574,32410,281
20205,5795,09810,677कोविड अवधि
20215,3185,56310,881स्थिर ट्रेंड
20225,2076,08311,2906 साल में सबसे अधिक
20234,6906,09610,786लेटेस्ट NCRB डेटा

📍 राज्यवार स्थिति (2022–2023)

किसान आत्महत्या की घटनाएँ पूरे देश में होती हैं, लेकिन कुछ राज्यों में इनकी संख्या लगातार अधिक रही है।
विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु इन घटनाओं में शीर्ष पर हैं।

राज्य2022 कुल आत्महत्याएँ2023 कुल (अनुमानित)राष्ट्रीय हिस्सेदारी (2023)
महाराष्ट्र4,248~4,100+38%
कर्नाटक2,392~2,300+22%
आंध्र प्रदेश917~900
तमिलनाडु728~700
मध्य प्रदेश641~600

👉 सिर्फ महाराष्ट्र और कर्नाटक मिलकर हर साल कुल किसान आत्महत्याओं का 60% से अधिक हिस्सा रखते हैं।


📈 2001–2023 ट्रेंड का विश्लेषण

भारत में किसान आत्महत्या के आंकड़ों का ग्राफ देखें तो यह एक सीधी रेखा नहीं, बल्कि एक लहर जैसा पैटर्न दिखाता है।

  1. 2001–2004 में किसान आत्महत्याएँ 17–18 हज़ार के आसपास थीं — यह सबसे ऊँचा स्तर था।
  2. 2005–2013 में लगातार गिरावट दिखी — 11 हज़ार के करीब पहुँच गया।
  3. 2014 में वर्गीकरण बदला → कुल संख्या 12,360 (किसान + मज़दूर)।
  4. 2015–2017 में डेटा में उतार-चढ़ाव, पर कुल में गिरावट।
  5. 2018–2021 में आंकड़े 10–11 हज़ार के बीच स्थिर रहे।
  6. 2022 में फिर उछाल — 11,290 (6 वर्षों में सबसे ज्यादा)।
  7. 2023 में मामूली गिरावट पर कृषि मज़दूर आत्महत्याओं का अनुपात बढ़ा।

📌 दिलचस्प बात: 2001 की तुलना में 2023 में “किसान (cultivators)” आत्महत्याओं में बड़ी गिरावट है, लेकिन “कृषि मज़दूर” श्रेणी 2014 के बाद लगातार बढ़ी है।


🚜 मुख्य कारण (NCRB + अध्ययन)

  1. 💰 कर्ज और आर्थिक दबाव — फसल खराब होने पर साहूकार/बैंक कर्ज चुकाना मुश्किल
  2. 🌦 मौसम और फसल विफलता — सूखा, बाढ़, असमय बारिश, कीट
  3. 📉 लागत बढ़ना और MSP न मिलना — उत्पादन लागत लगातार बढ़ी, पर दाम स्थिर
  4. 🧾 बीमा और मुआवज़ा योजनाओं की खामियाँ — लाभ समय पर नहीं मिलता
  5. 🧠 मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबाव — आत्महत्या को लेकर सामाजिक कलंक

FAQ — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q. 2001–2013 में कृषि मज़दूरों का डेटा क्यों नहीं है?

👉 उस समय NCRB ने “कृषि मज़दूर” को अलग श्रेणी में शामिल नहीं किया था। ये श्रेणी 2014 से जोड़ी गई।

Q. 2024–2025 के आंकड़े कब आएंगे?

👉 NCRB की रिपोर्ट आम तौर पर अगले वर्ष के अंत में आती है। अक्टूबर 2025 तक 2024 के आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए हैं।

Q. किस राज्य में सबसे ज्यादा आत्महत्या होती है?

👉 महाराष्ट्र और कर्नाटक लगातार शीर्ष पर हैं। दोनों मिलकर हर साल के कुल मामलों का लगभग 60% हिस्सा रखते हैं।

Q. क्या आत्महत्या के कारणों का भी रिकॉर्ड होता है?

👉 हाँ, NCRB में कारण श्रेणियाँ होती हैं — “कर्ज”, “परिवारिक समस्याएँ”, “बीमारी”, “अन्य” आदि। पर किसानों के लिए कारणों की अलग detailed break-up हर साल नहीं दी जाती।


📝 निष्कर्ष

भारत में किसान आत्महत्या एक गहरी जड़ें जमाए हुई समस्या है।
2001 से 2023 तक के आँकड़े दिखाते हैं कि भले ही किसान आत्महत्याओं की कुल संख्या में कुछ गिरावट आई हो, पर कृषि क्षेत्र में मानसिक, आर्थिक और जलवायु संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए ज़रूरत है:

  • समय पर ऋण माफी और ब्याज नियंत्रण
  • जलवायु अनुकूल बीमा व राहत योजनाएँ
  • फसल का सही दाम (MSP का प्रभावी क्रियान्वयन)
  • मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सहयोग तंत्र

📚 स्रोत (References)

  • NCRB: Accidental Deaths & Suicides in India Reports (2001–2023)
  • राज्‍यसभा प्रश्नोत्तर (2017–2021 राज्यवार)
  • Down to Earth, Times of India, Indian Express (2022–2023 रिपोर्ट कवरेज)
  • IndiaSpend, Hindustan Times (2015–2018 रिपोर्ट देरी विश्लेषण)

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