Last Updated: 11 October 2025
भारत में GST e-Invoicing सिस्टम में 2025 से एक महत्वपूर्ण बदलाव लागू हुआ है। अब ₹10 करोड़ या उससे अधिक टर्नओवर वाले व्यवसायों को Invoice की तारीख से 30 दिनों के भीतर Invoice Registration Portal (IRP) पर e-invoice रिपोर्ट करना अनिवार्य है। समय सीमा पार होने पर IRP संबंधित इनवॉइस का IRN (Invoice Reference Number) जनरेट नहीं करेगा।
📌 What is e-Invoicing? | e-Invoicing क्या है
e-Invoicing एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यवसाय द्वारा जारी की गई Tax Invoice, Credit Note या Debit Note को IRP पर अपलोड किया जाता है।
Portal इन दस्तावेज़ों को डिजिटल रूप से प्रमाणित करता है और प्रत्येक दस्तावेज़ को एक Unique IRN और QR Code प्रदान करता है।
केवल ERP में QR Code प्रिंट करना पर्याप्त नहीं है; QR Code IRP से जनरेट हुआ होना चाहिए।
🧮 Applicability | किन पर लागू होता है
श्रेणी | स्थिति |
---|---|
टर्नओवर ₹5 करोड़ या अधिक | e-Invoicing अनिवार्य (B2B, B2G, Export, SEZ Developer) |
टर्नओवर ₹10 करोड़ या अधिक | ऊपर के साथ + 30 दिन में IRP पर रिपोर्टिंग अनिवार्य (1 अप्रैल 2025 से) |
B2C इनवॉइस | e-Invoicing लागू नहीं |
Exempt Entities | Banks, NBFC, Insurance, GTA, Passenger Transport, Cinema Multiplex, SEZ Units |
👉 SEZ Units पर छूट है, लेकिन SEZ Developers पर e-Invoicing लागू होती है।
🗓️ 30 Days Reporting Rule | 30 दिन में रिपोर्टिंग का नियम
1 अप्रैल 2025 से, ₹10 करोड़ या उससे अधिक टर्नओवर वाले करदाताओं के लिए e-invoice रिपोर्टिंग की समय सीमा 30 दिन तय की गई है।
- Invoice, Credit Note या Debit Note को IRP पर अधिकतम 30 दिन में अपलोड करना अनिवार्य है।
- 30 दिन की समय सीमा पूरी होने के बाद IRP किसी दस्तावेज़ का IRN जनरेट नहीं करेगा।
- पहले यह नियम केवल ₹100 करोड़ से अधिक टर्नओवर वालों पर लागू था।
⚠️ Consequences of Late Reporting | देरी से रिपोर्ट करने पर परिणाम
- समय सीमा के बाद IRN न बनने पर दस्तावेज़ को वैध Tax Invoice नहीं माना जाएगा।
- Buyer को उस इनवॉइस पर Input Tax Credit (ITC) प्राप्त नहीं होगा।
- Returns और E-way Bill में mismatches की संभावना बढ़ जाती है।
- Invoice को cancel कर पुनः जारी करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
📝 Exemptions | किन श्रेणियों को छूट है
e-Invoicing से निम्नलिखित संस्थाएं छूट में हैं, चाहे उनका टर्नओवर कितना भी हो:
- Banks और NBFC
- Insurance Companies
- GTA (Goods Transport Agency)
- Passenger Transport Services
- Cinema Multiplex / Admission to Exhibition
- SEZ Units (SEZ Developers को छूट नहीं)
🧠 Key Points to Remember | मुख्य बिंदु
- ₹5 करोड़ से अधिक टर्नओवर पर e-Invoicing लागू है।
- ₹10 करोड़ से अधिक टर्नओवर पर 30 दिनों के भीतर IRP रिपोर्टिंग अनिवार्य है।
- Credit Notes और Debit Notes पर भी यही समय सीमा लागू होती है।
- Exempt categories को भी अपने दस्तावेज़ों पर exemption declaration देना चाहिए।
- B2C invoices पर e-Invoicing लागू नहीं है।
- Export invoices पर e-Invoicing लागू होती है (threshold के अनुसार)।
🧭 Timeline of Key Changes | बदलावों की टाइमलाइन
- 📅 1 August 2023 – e-Invoicing की सीमा ₹10 करोड़ से घटाकर ₹5 करोड़ की गई।
- 📅 1 April 2025 – 30 Days Reporting Rule ₹10 करोड़+ कारोबार पर लागू हुआ।
❓ Frequently Asked Questions (FAQ)
Q. ₹6 करोड़ टर्नओवर पर e-Invoicing लागू है?
✔ हाँ, क्योंकि यह ₹5 करोड़ से अधिक है।
Q. 30 दिन की समय सीमा पार होने पर IRN जनरेट हो सकता है?
❌ नहीं, IRP 30 दिन के बाद IRN बनाने से इंकार कर देगा।
Q. क्या Export पर e-Invoicing लागू है?
✔ हाँ, Export documents पर भी लागू है।
Q. B2C invoices पर e-Invoicing की आवश्यकता है?
❌ नहीं, B2C invoices exempt हैं।
Q. SEZ Unit और SEZ Developer में क्या अंतर है?
SEZ Units को छूट प्राप्त है जबकि SEZ Developers को e-Invoicing लागू होती है।
📝 Conclusion | निष्कर्ष
GST e-Invoicing सिस्टम अब लगभग सभी मझोले और बड़े व्यवसायों के लिए एक अनिवार्य अनुपालन प्रक्रिया बन चुका है।
₹5 करोड़ से अधिक टर्नओवर पर e-Invoicing लागू है और ₹10 करोड़ से अधिक पर 30 दिनों के भीतर IRP पर रिपोर्टिंग का पालन करना आवश्यक है।
समय पर रिपोर्टिंग न केवल वैधानिक अनुपालन सुनिश्चित करती है, बल्कि ITC विवादों और रिटर्न mismatches से भी सुरक्षा देती है।