🪔 लक्ष्मी पूजा का महत्व
लक्ष्मी पूजा धन, सौभाग्य और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए की जाती है।
सबसे विशेष पूजा दीवाली की रात (कार्तिक अमावस्या) को होती है, जब माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और स्वच्छ, दीपों से सजे घरों में वास करती हैं।इसके अलावा कई लोग हर शुक्रवार, पूर्णिमा और शरद पूर्णिमा (कोजागरी पूजा) पर भी माता की आराधना करते हैं।
हालाँकि वर्षभर पूजा की जा सकती है, परंतु दीवाली की लक्ष्मी पूजा का महत्व सबसे अधिक माना गया है ✨
📝 1. पूजा से पहले की तैयारी
कार्य | विवरण |
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🧼 घर की सफाई | लक्ष्मी जी स्वच्छ स्थान में ही वास करती हैं। इसलिए घर, आँगन और पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ़ करें। |
🌼 सजावट | दरवाजे पर आम-पान के पत्तों का तोरण लगाएं, रंगोली बनाएं और दीपक सजाएं। |
🪔 पूजा स्थल तैयार करें | चौकी पर लाल या पीले कपड़े बिछाकर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियाँ स्थापित करें। |
💰 धन/व्यापार से जुड़ी चीजें रखें | तिजोरी, बहीखाता, पैसे या सोने-चांदी के सिक्के पास में रखें — ताकि लक्ष्मी जी की कृपा उस पर भी बनी रहे। |
🙏 2. मूर्ति स्थापना
- चौकी पर बीच में माता लक्ष्मी, दाईं ओर भगवान गणेश, और बाईं ओर कुबेर देव (यदि स्थापित कर रहे हों) रखें।
- मूर्तियों को जल से शुद्ध करें (थोड़ा सा जल छिड़कें)।
- फूल, चावल और हल्दी का तिलक लगाएं।
📿 3. संकल्प एवं आह्वान
- दाहिने हाथ में जल, फूल और अक्षत (चावल) लेकर पूजा का संकल्प लें: 🪔 “मम परिवारस्य सर्वपापक्षयपूर्वकं सर्वशुभफलप्राप्त्यर्थं श्रीलक्ष्मीपूजनं करिष्ये।”
(अर्थ: अपने परिवार के कल्याण और शुभ फलों की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी पूजा करता/करती हूँ।) - फिर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का आह्वान करें: 🪔 “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।
ॐ गण गणपतये नमः॥”
🪔 4. पूजा सामग्री अर्पण (Puja Samagri Offering)
सामग्री | उपयोग |
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🌸 फूल | देवी-देवताओं को अर्पित करने के लिए |
🪙 अक्षत (चावल) | पवित्रता और संकल्प का प्रतीक |
🧴 हल्दी-कुमकुम | तिलक व पूजा में |
🕯 दीपक | ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक |
🍬 मिठाई / नैवेद्य | भोग के लिए |
🪙 सिक्के / गहने | धन का प्रतीक, लक्ष्मी जी को अर्पण |
👉 सबसे पहले गणेश जी को पूजा सामग्री अर्पित करें, फिर माता लक्ष्मी और अंत में कुबेर जी को।
🪔 5. लक्ष्मी जी की पूजा विधि
- आसन और आवाहन – लक्ष्मी जी को आसन अर्पित करें और हाथ जोड़कर आवाहन करें।
- पाद्य, अर्घ्य, आचमन – प्रतीक रूप से जल अर्पण करें।
- स्नान – थोड़ा गंगाजल छिड़कें।
- वस्त्र और आभूषण – फूल या कपड़ा अर्पित करें।
- गंध, अक्षत, पुष्प अर्पण – क्रम से अर्पित करें।
- धूप, दीप, नैवेद्य – जलाएं और अर्पित करें।
- आरती करें – लक्ष्मी जी की और गणेश जी की आरती गाएं।
🕯 6. लक्ष्मी आरती (संक्षिप्त)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुम्हको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
👉 आरती के समय सभी घरवाले एक साथ दीप जलाएं और आरती में शामिल हों।
🪙 7. विशेष परंपराएं
- दरवाजे के दोनों ओर दो दीये जलाना अनिवार्य माना गया है — ताकि लक्ष्मी जी का स्वागत हो सके।
- रातभर घर में कुछ दीपक जलते रहने देना शुभ होता है।
- पूजा के बाद बच्चों में मिठाइयाँ, सिक्के या उपहार बाँटने की परंपरा भी होती है।
📌 8. पूजा के बाद
- प्रसाद वितरित करें।
- तिजोरी / बहीखाते को पूजा स्थल पर एक रात रखें।
- अगले दिन शुभ मुहूर्त में उन्हें स्थान पर वापस रखें।
🌟 लक्ष्मी पूजा में बोले जाने वाले प्रमुख मंत्र
🪔 लक्ष्मी आवाहन मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः॥
🕯 शुभता का बीज मंत्र
ॐ महालक्ष्म्यै नमः॥
🙏 समर्पण मंत्र
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा। बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात्॥ करोमि यद्यत् सकलं परस्मै। नारायणाय इति समर्पयामि॥
📝 संक्षेप में पूजा विधि (Quick Checklist)
- ✅ घर की सफाई व सजावट
- 🪔 चौकी पर मूर्ति स्थापना
- 📿 संकल्प व आह्वान
- 🌸 पूजन सामग्री अर्पण
- 🕯 दीप, धूप, नैवेद्य
- 📝 आरती व मंत्र
- 🎁 प्रसाद वितरण व दीप जलाना
🪔 निष्कर्ष
माता लक्ष्मी जी की पूजा विधि सरल है लेकिन इसमें श्रद्धा और स्वच्छता सबसे बड़ा महत्व रखती है।
👉 जिस घर में भक्ति, साफ-सफाई और दीपों की रौशनी होती है, वहाँ धन, सौभाग्य और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।