महाभारत का अंत
कुरुक्षेत्र के 18 दिन चले युद्ध और उसके बाद के प्रसंगों के साथ महाभारत की कथा समाप्त होती है।
- कौरवों का वंश समाप्त हुआ।
- पांडवों ने राज्य चलाया, लेकिन शोक और पश्चाताप में डूबे रहे।
- अंततः वे भी स्वर्गारोहण कर गए।
- श्रीकृष्ण का प्रस्थान और यदुवंश का अंत भी हो चुका था।
इस प्रकार महाभारत केवल एक युद्धकथा नहीं, बल्कि मानवता के उत्थान और पतन का महाग्रंथ है।
परीक्षित का राज
अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को गद्दी मिली।
श्रीकृष्ण की कृपा से वह बचा था और उसने धर्मपूर्वक राज्य किया।
परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने बाद में अश्वमेध यज्ञ किया, जिसमें महाभारत की कथा को व्यासजी के शिष्य वैशंपायन ने सुनाया।
महाभारत का संदेश
महाभारत केवल एक युद्ध नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू का दर्पण है।
मुख्य शिक्षाएँ:
- धर्म की विजय निश्चित है – चाहे अन्याय और अधर्म कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।
- अहंकार का नाश होता है – दुर्योधन, कर्ण और अन्य वीरों का पतन उनके अहंकार से हुआ।
- त्याग और नीति का महत्व – भीष्म, विदुर और कृष्ण ने नीति और धर्म की रक्षा के लिए जीवन समर्पित किया।
- कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है – गीता का उपदेश हमें यही सिखाता है कि परिणाम की चिंता किए बिना कर्म करते रहना चाहिए।
- धर्म बिना शक्ति अधूरा है – पांडवों ने धर्म का पालन किया, लेकिन शक्ति और पराक्रम से ही उसकी रक्षा कर पाए।
निष्कर्ष
महाभारत का उपसंहार हमें यह सिखाता है कि जीवन क्षणभंगुर है।
👉 केवल धर्म, सत्य और कर्म ही शाश्वत हैं।
मनुष्य को चाहिए कि वह लोभ, मोह और अहंकार छोड़कर धर्म के मार्ग पर चले।
✅ पिछला भाग (भाग 24) : श्रीकृष्ण का प्रस्थान और यदुवंश का अंत
🙏 धन्यवाद
आपने महाभारत कथा का यह भाग पढ़ा। हमें उम्मीद है कि यह कहानी आपको रोचक और ज्ञानवर्धक लगी होगी। महाभारत केवल युद्ध की गाथा नहीं, बल्कि धर्म, नीति और जीवन की शिक्षा है।
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