👶 बचपन और शुरुआती जीवन

सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर 1966 को लद्दाख के छोटे से गाँव उपशी (लेह) में हुआ। लद्दाख की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियाँ कठिन थीं—सर्दियों में तापमान बेहद कम, और शिक्षा की सुविधाएँ लगभग न के बराबर। शुरुआती दिनों में वे केवल अपनी स्थानीय बोली ही जानते थे, जिसके चलते औपचारिक शिक्षा में कठिनाई आई।

बचपन से ही उनमें समस्या का समाधान ढूँढने और कुछ नया करने की जिज्ञासा रही। इन्हीं गुणों ने आगे चलकर उन्हें एक अनोखे इनोवेटर और शिक्षा सुधारक के रूप में स्थापित किया।


🎓 शिक्षा और करियर की शुरुआत

  • स्कूली शिक्षा: लद्दाख से बाहर जाकर श्रीनगर और दिल्ली में पढ़ाई।
  • इंजीनियरिंग: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग।
  • आर्किटेक्चर: फ्रांस में पर्यावरण-अनुकूल आर्किटेक्चर की पढ़ाई।

शिक्षा ने उन्हें यह समझ दी कि किताबों तक सीमित रहना पर्याप्त नहीं है; असली ज्ञान वही है जिसे समाज और पर्यावरण की भलाई के लिए उपयोग किया जाए।


🏫 SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh)

साल 1988 में सोनम वांगचुक ने SECMOL की नींव रखी। इसका उद्देश्य था—लद्दाख के युवाओं को ऐसी शिक्षा देना जो स्थानीय समस्याओं और परिस्थितियों से जुड़ी हो

SECMOL कैंपस पूरी तरह से सौर ऊर्जा आधारित है और यहाँ के छात्र व्यावहारिक कौशल सीखते हैं जैसे:

  • सौर ऊर्जा तकनीक
  • पर्यावरण-अनुकूल बिल्डिंग
  • खेती व जल प्रबंधन

यह मॉडल इतना सफल हुआ कि इसे दुनिया भर में एक role model के रूप में देखा गया।


❄️ आइस स्तूप (Ice Stupa Project)

लद्दाख की सबसे बड़ी समस्या है—गर्मियों में पानी की कमी। इस समस्या का समाधान सोनम वांगचुक ने 2013 में निकाला। उन्होंने आइस स्तूप तकनीक विकसित की:

  • सर्दियों का पानी पाइप द्वारा जमा किया जाता है।
  • उसे पिरामिड जैसी ऊँची संरचना में जमाया जाता है।
  • गर्मियों में यह धीरे-धीरे पिघलता है और किसानों को पानी उपलब्ध कराता है।

यह तकनीक इतनी प्रभावी साबित हुई कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और वांगचुक को कई पुरस्कार मिले।


🎬 3 Idiots और फुन्सुख वांगडू

बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म 3 Idiots (2009) का किरदार फुन्सुख वांगडू सोनम वांगचुक से प्रेरित था।

  • फिल्म में आमिर खान ने यह किरदार निभाया।
  • वांगचुक की सोच—व्यावहारिक शिक्षा, इनोवेशन और स्थानीय समाधान—इस चरित्र की नींव थी।
  • हालांकि, फिल्म उनकी सीधी जीवनी नहीं थी, लेकिन उनके विचारों और कार्यों से गहराई से प्रभावित थी।

इस फिल्म ने उन्हें भारत के हर कोने में लोकप्रिय बना दिया।


🏆 पुरस्कार और सम्मान

  • Rolex Award for Enterprise (2016)
  • Ramon Magsaysay Award (2018) — एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।
  • शिक्षा और पर्यावरण सुधार में योगदान के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अन्य सम्मान।

⚡ आंदोलन और विवाद

1. अनुच्छेद 370 और लद्दाख की स्थिति

2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिला। लेकिन लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल नहीं किया गया। इससे स्थानीय लोगों को अपनी ज़मीन, नौकरियों और पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता बढ़ी।

2. सोनम वांगचुक की भूमिका

  • वांगचुक ने लद्दाख के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवाज़ उठाई।
  • उन्होंने हिमालयन पर्यावरण और संस्कृति बचाओ आंदोलन चलाया।
  • युवाओं को शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जागरूक किया।

3. हालिया घटनाएँ (2025)

  • 10 सितंबर 2025: वांगचुक ने Leh में हंगर स्ट्राइक शुरू किया, माँगें—Sixth Schedule, नौकरी सुरक्षा और पारिस्थितिकी संरक्षण।
  • 24 सितंबर 2025: उन्होंने उपवास खत्म किया। उसी दौरान लेह और आसपास हिंसक झड़पें शुरू हुईं।
  • 24–25 सितंबर 2025: कई जगह सरकारी भवनों और वाहनों को आग लगाई गई, टकराव में करीब 4 लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए। प्रशासन ने कर्फ्यू और इंटरनेट बंद किया।
  • 26 सितंबर 2025: पुलिस ने सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया।

4. भारत सरकार की कार्रवाई

  • FCRA लाइसेंस रद्द: SECMOL का विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
  • गिरफ्तारी: वांगचुक पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे।
  • कर्फ्यू और इंटरनेट बंद: प्रशासन ने हालात काबू में लाने के लिए यह कदम उठाए।
  • जाँच: पुलिस और केंद्र सरकार ने उनके आंदोलन और NGO पर जाँच शुरू की।

5. वांगचुक का पक्ष

उन्होंने कहा:

  • वे हमेशा शांतिपूर्ण आंदोलन का हिस्सा रहे।
  • हिंसा की निंदा करते हैं।
  • सरकार उन पर बेबुनियाद आरोप लगा रही है।

📌 वर्तमान स्थिति

आज वांगचुक जेल में हैं और उनके NGO पर सरकारी कार्रवाई चल रही है। फिर भी उनकी छवि एक शिक्षाविद और पर्यावरण योद्धा की बनी हुई है। लद्दाख के लिए उनकी माँगें आज भी चर्चा में हैं और जनता का एक बड़ा वर्ग उनका समर्थन करता है।


✅ निष्कर्ष

सोनम वांगचुक का जीवन केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि यह शिक्षा, इनोवेशन, पर्यावरण और राजनीति के टकराव की कहानी है।

  • उन्होंने आइस स्तूप जैसे इनोवेशन से पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।
  • SECMOL जैसे मॉडल से शिक्षा को नया चेहरा दिया।
  • और अब वे लद्दाख की पहचान और सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

यह सफर दिखाता है कि कैसे एक शिक्षक और इनोवेटर, समय के साथ एक जन-नेता और विवादित चेहरा बन सकता है।

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