🕉️ महाभारत के अनुसार यदुवंश का विनाश (Mausala Parva)

  1. गांधारी का श्राप

कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों का नाश हो गया।

गांधारी ने दुःखी होकर श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस प्रकार उसने उसके वंश को नष्ट होते देखा, उसी प्रकार यादव वंश भी आपस में लड़कर नष्ट हो जाएगा।

श्रीकृष्ण ने श्राप स्वीकार कर लिया क्योंकि वे जानते थे कि पृथ्वी का बोझ हल्का करना आवश्यक था।


  1. श्राप का बीज (सम्भवना)

युद्ध के लगभग 36 साल बाद द्वारका में यादवों ने एक शरारत की।

साम्ब (जाम्बवती और कृष्ण का पुत्र) ने ऋषियों का मज़ाक उड़ाते हुए अपने पेट में लोहे की गदा छुपाकर उनसे पूछा – “हे मुनियों! बताइए मेरे गर्भ से पुत्र होगा या पुत्री?”

ऋषियों ने क्रोधित होकर कहा – “इस गर्भ से एक लोहे की गदा उत्पन्न होगी जो तुम्हारे वंश का विनाश करेगी।”

गदा वाकई प्रकट हुई। भयभीत होकर यादवों ने उसे चूर्ण कर समुद्र में फेंक दिया।

लेकिन उसके कणों से सरकंडे (reeds) उग आए जो लोहे जैसे कठोर बन गए।


  1. प्रभास तीर्थ में महोत्सव

कालांतर में यादव प्रभास तीर्थ पर गए।

वहाँ मद्यपान (शराब) के कारण उनमें आपसी विवाद शुरू हो गया।

धीरे-धीरे हंसी-मज़ाक से झगड़ा, फिर युद्ध में बदल गया।

हर कोई उन्हीं लोहे जैसे सरकंडों को तोड़कर एक-दूसरे पर वार करने लगा।

अर्जुन, बलराम आदि के प्रयास के बावजूद कोई नहीं बच पाया।


  1. यदुवंश का विनाश

आपस के इस भयानक संघर्ष में सारे यादव (साम्ब, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध, कृतवर्मा आदि) मारे गए।

बलराम ध्यानस्थ होकर समुद्र तट पर बैठे और अपना देह त्याग कर शेषनाग के रूप में प्रकट हुए।

अंत में श्रीकृष्ण अकेले रह गए।


  1. श्रीकृष्ण का प्रस्थान

श्रीकृष्ण वन में ध्यानस्थ होकर बैठे थे।

एक शिकारी (जरा) ने उन्हें हिरण समझकर उनके पैर में बाण मार दिया।

यह सब ईश्वर की लीला थी।

उसी के साथ भगवान कृष्ण ने पृथ्वी पर अपना अवतार समाप्त किया।


  1. अर्जुन का आगमन

अर्जुन द्वारका आए और शेष बचे स्त्रियों व बच्चों को लेकर इन्द्रप्रस्थ जाने लगे।

मार्ग में डाकुओं ने आक्रमण किया और अर्जुन, जिनका गांडीव अब प्रभावहीन हो गया था, कुछ को ही बचा पाए।

अंततः केवल वज्र (अनिरुद्ध का पुत्र) बचा जिसे इन्द्रप्रस्थ में स्थापित किया गया।


📅 समय संदर्भ

महाभारत के अनुसार, यह घटना कुरुक्षेत्र युद्ध के लगभग 36 वर्ष बाद हुई थी।

युद्ध के बाद यदुवंश ने कुछ वर्षों तक द्वारका में सुखपूर्वक शासन किया, परंतु श्राप के प्रभाव से उनका अंत हुआ।


📖 निष्कर्ष

यदुवंश का अंत अपने ही हाथों हुआ —

यह महाभारत का एक गहरा संदेश है कि अहंकार, मद्य और अधर्म किसी भी महान वंश को नष्ट कर सकते हैं।

श्रीकृष्ण के प्रस्थान के साथ ही द्वापर युग का भी अंत हुआ और कलियुग का आरंभ माना जाता है।

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