महाकुंभ भगदड़ में 50 से 60 मौतें:
प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट मंगलवार और बुधवार की आधी रात को हुई भगदड़ में 50 से 60 लोग मारे गए हैं। हादसे के 17 घंटे बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 लोगों की मौत की पुष्टि की।

शाम 6.30 बजे मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और DIG वैभव कृष्णा ने 3 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस की। DIG वैभव कृष्ण ने कहा- भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई। 60 लोग घायल हैं। 25 शवों की पहचान कर ली गई है।
उन्होंने कहा कि भगदड़ में मरने वालों में यूपी के सबसे ज्यादा 19, कर्नाटक के 4, गुजरात और असम के एक-एक श्रद्धालु की मौत हुई है। जबकी मरने वाले में मेघालय, बिहार, हरियाणा और राजस्थान के लोग भी हैं।
उन्होंने कहा- घाट पर कुछ बैरिकेड्स टूट गए थे, जिसकी वजह से कुछ लोग जमीन पर सो रहे कुछ श्रद्धालुओं पर चढ़ गए। इसके बाद अफरा-तफरी मच गई। उन्होंने बताया कि मेले में कोई वीआईपी प्रोटोकाल नहीं होगा।
मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने कहा- जो श्रद्धालु महाकुंभ में आएं हैं, उन्हें वापस भेजने के लिए काम किया जा रहा है। अब सवाल न करें। वहीं, सीएम योगी ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया है।
जब हादसा हुआ, उस समय लोग संगम तट पर मौनी अमावस्या के स्नान के लिए इंतजार कर रहे थे।
इससे पहले मेडिकल कॉलेज में 14 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए गए थे। फिर मेले से 8-10 एंबुलेंस से कुछ और शवों को लाया गया। इन्हें मिलाकर करीब 20 शव उनके परिजनों को सौंपे जा चुके हैं। वे उन्हें लेकर चले भी गए हैं।
महाकुंभ एक और भगदड़ में 5 लोगों की मौत
इसके अलावा महाकुंभ में बुधवार सुबह भी भगदड़ मची। हालांकि घटना देर रात सामने आई। दरअसल, ओल्ड जीटी रोड की तरफ से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मेला क्षेत्र में आ रहे थे। इसी बीच मुक्ति मार्ग पर एक महामंडलेश्वर की गाड़ी वहां से गुजर रही थी। इसी दौरान 2-3 महिलाएं वहां गिर पड़ीं। गाड़ी महिलाओं को रौंदते हुए निकल गई। इसके बाद भगदड़ जैसी स्थिति हो गई। इसमें 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों में एक बच्ची भी शामिल है।
CO रुद्र प्रताप ने बताया- यह दुर्घटना सुबह 8 से 9 बजे के बीच में हुई। गाड़ी बैक करने के दौरान 5 लोग घायल हो गए थे। उन्हें इलाज के लिए स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। जहां उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। मरने वालों की शिनाख्त कराई जा रही है।

भगदड़ की 2 संभावित वजह
- अमृत स्नान की वजह से ज्यादातर पांटून पुल बंद थे। इस कारण संगम पर लाखों की भीड़ इकट्ठा होती चली गई। इस दौरान बैरिकेड्स में फंसकर कुछ लोग गिर गए। यह देखकर भगदड़ मच गई।
- संगम नोज पर एंट्री और एग्जिट के रास्ते अलग-अलग नहीं थे। लोग जिस रास्ते से आ रहे थे, उसी से वापस जा रहे थे। ऐसे में जब भगदड़ मची तो भागने का मौका नहीं मिला। वे एक-दूसरे के ऊपर गिरते गए।
भगदड़ के बाद प्रशाशन का निर्णय
- भारी भीड़ को देखते हुए प्रयागराज में एंट्री करने वाले 8 पॉइंट-भदोही, चित्रकूट, कौशांबी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, मिजापुर बॉर्डर को बंद कर दिया गया है।
- पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया है। सभी व्हीकल पास रद्द कर दिए गए हैं। यानी मेले में एक भी गाड़ी नहीं चलेगी।
- रास्ते को वन-वे कर दिया गया है। एक रास्ते से आए श्रद्धालुओं को स्नान के बाद दूसरे रास्ते से भेजा जा रहा है।
- शहर में चार पहिया वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। मेला क्षेत्र में यह व्यवस्था 4 फरवरी तक लागू रहेगी।
- यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा, ‘श्रद्धालु जहां जगह हो वहीं स्नान करें। जहां इतनी बड़ी भीड़ होती है, इतना बड़ा प्रबंधन होता है, ऐसी छोटी-मोटी घटना हो जाती है।
- प्रशासन के मुताबिक, संगम समेत 44 घाटों पर बुधवार देर रात तक 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान है। पूरे शहर में सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।
मोदी, योगी ने संवेदना जताई; राहुल बोले- इंतजाम नाकाफी
घटना के बाद PM मोदी ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने कहा-
मैं उत्तर प्रदेश सरकार के साथ निरंतर संपर्क में हूं। करोड़ों श्रद्धालु आज वहां पहुंचे हैं, कुछ समय के लिए स्नान की प्रक्रिया में रुकावट आई थी, लेकिन अब कई घंटों से सुचारू रूप से लोग स्नान कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ ने लोगों से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा-श्रद्धालु संगम पर ही स्नान करने की न सोचें। गंगा हर जगह पवित्र है, वे जहां हैं उसी तट पर स्नान करें।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि वीआईपी कल्चर और सरकार की बदइंतजामी के कारण भगदड़ मची। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- महाकुंभ को सेना के हवाले कर देना चाहिए।
महाकुंभ में कब कब भगदड़ हुआ ।
इलाहाबाद (प्रयागराज) कुंभ 1954
हरिद्वार कुंभ 1986
उज्जैन सिंहस्थ मेला 1992
नासिक कुंभ 2003
हरिद्वार कुंभ 2010
इलाहाबाद (प्रयागराज) कुंभ 2013
इलाहाबाद (प्रयागराज) कुंभ 1954

तब के इलाहाबाद और आज के प्रयागराज में कुंभ मेला लगा था. यह आज़ादी के बाद का पहला कुंभ था. 3 फ़रवरी 1954 को मौनी अमावस्या के मौक़े पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु संगम तट पहुँचे थे.
कहा जाता है कि एक हाथी की वजह से भगदड़ मच गई.
इसमें 800 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. सैकड़ों घायल हुए थे.
इस घटना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजनेताओं और विशिष्ट लोगों को मेले में जाने से बचने की सलाह दी थी.
हरिद्वार कुंभ 1986
हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था. ख़बरों के अनुसार, 14 अप्रैल 1986 को उस वक़्त के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, कई दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं के साथ हरिद्वार गए थे.
आम लोगों को तट पर जाने से रोक दिया गया था. इसकी वजह से भीड़ का दबाव बढ़ा. भीड़ अनियंत्रित हो गई.
इस घटना में क़रीब 50 लोगों की मौत हो गई थी. हरिद्वार में इससे पहले 1927 और 1950 में भी भगदड़ मची थी.
उज्जैन सिंहस्थ मेला 1992
उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेला लगा था. इस दौरान मची भगदड़ में करीब 50 लोगों की मौत हो गई थी
नासिक कुंभ 2003
इस साल कुंभ मेला नासिक में लगा था. दैनिक जागरण की एक ख़बर के मुताबिक, संतों ने चांदी का सिक्का लुटाया था.
इसे लेने के लिए आपाधापी मची. इसकी वजह से भगदड़ हो गई और क़रीब 30 लोगों को जान गँवानी पड़ी. 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे.
हरिद्वार कुंभ 2010
हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था. शाही स्नान के दिन साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच कुछ बहस हुई.
इसके बाद भगदड़ मच गई. इसमें पांच लोगों की मौत हुई थी.
इस घटना के बाद सरकार ने मृतकों के परिजनों को पाँच-पाँच लाख रुपए की सहायता देने की घोषणा की थी.
इलाहाबाद (प्रयागराज) कुंभ 2013
प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में कुंभ मेला लगा था. रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं की ज़बरदस्त भीड़ थी.
स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें 29 महिलाएँ थीं. भगदड़ की वजह साफ़ तौर पर पता नहीं चली. किसी का कहना था कि पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, उसकी वजह से भगदड़ हुई.
किसी ने बताया कि फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ हुई और लोग गिरते चले गए.