मौनी अमावस्या 2025

मौनी अमावस्या कुंभ मेला 2025

मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में माघ मास की अमावस्या को कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से पूजा, ध्यान, मौन व्रत, और पवित्र स्नान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। “मौनी” का अर्थ है मौन रहना, और इस दिन मौन व्रत रखने और आत्मचिंतन करने की परंपरा है।

मौनी अमावस्या का महत्व

  1. आध्यात्मिक महत्व:
    • मौन रहने से मन और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है। यह दिन मानसिक शांति और आत्म-विश्लेषण के लिए समर्पित होता है।
    • यह माना जाता है कि इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
    • पूर्वजों का स्मरण और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है।
  2. पवित्र स्नान (Magh Snan):
    • माघ मास में मौनी अमावस्या का विशेष स्थान है। प्रयागराज (त्रिवेणी संगम) जैसे तीर्थ स्थलों पर इस दिन स्नान का अत्यधिक महत्व होता है।
    • इस दिन करोड़ों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। यह मान्यता है कि इस दिन स्नान से व्यक्ति का पाप समाप्त हो जाता है।
  3. कुंभ और मौनी अमावस्या:
    • कुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या का विशेष महत्व होता है। यह दिन कुंभ मेले का सबसे शुभ और प्रमुख स्नान दिवस माना जाता है। इसे “शाही स्नान” भी कहा जाता है।
    • कुंभ मेले में मौनी अमावस्या पर संत, महात्मा, और साधु-संतों की बड़ी संख्या में उपस्थिति होती है। इस दिन वे भव्य जुलूस के साथ स्नान के लिए पवित्र नदी में जाते हैं।
  4. मौन व्रत और पूजा:
    • इस दिन मौन रहकर भगवान विष्णु और शिव की आराधना की जाती है।
    • लोग दान-पुण्य करते हैं, जिसमें अन्न, वस्त्र, और धन का दान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

मौनी अमावस्या की परंपराएं और रीति-रिवाज

  • मौन व्रत: मौन रहना आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है। इसे साधना और आत्मचिंतन के लिए सर्वोत्तम दिन माना जाता है।
  • स्नान और दान: स्नान के बाद तिल, अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • पित्र तर्पण: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है।
  • ध्यान और जप: भगवान का ध्यान और महामृत्युंजय मंत्र या गायत्री मंत्र का जप विशेष फलदायक माना जाता है।

मौनी अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व

  • इस दिन सूर्य और चंद्रमा की युति होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यह समय ग्रहों की स्थिति के अनुसार आत्मशुद्धि और ऊर्जा प्राप्ति के लिए अत्यंत अनुकूल माना गया है।

2025 में मौनी अमावस्या कब है?

माघ मास की अमावस्या, जिसे मौनी अमावस्या कहा जाता है, वर्ष 2025 में 29 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 28 जनवरी 2025 को शाम 7:35 बजे शुरू होकर 29 जनवरी 2025 को शाम 6:05 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी।

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त 29 जनवरी को सुबह 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा। यदि इस समय में स्नान संभव न हो, तो पूरे दिन में किसी भी समय स्नान और दान किया जा सकता है।

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत, पवित्र नदी में स्नान, दान-पुण्य, और पितरों का तर्पण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और पीपल के वृक्ष की आराधना का भी विशेष महत्व है।

यदि आप इस दिन के महत्व, पूजा विधि, या अन्य संबंधित जानकारी के बारे में और जानना चाहते हैं, तो कृपया बताएं।

महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान का पूरा प्लान

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