📖 अठारह पुराण (18 Puranas)
पुराण शब्द का अर्थ है – प्राचीन इतिहास। पुराणों का उद्देश्य धर्म का प्रचार–प्रसार करना और आम जनता को सरल भाषा में धर्म, नीति और इतिहास से अवगत कराना है। इनमें सृष्टि की उत्पत्ति, वंशावली, भूगोल, खगोल, कथाएँ और धर्मशिक्षा का समावेश है।
🔹 18 पुराण (List of 18 Puranas)
क्रमांक | हिंदी नाम | English Name |
---|---|---|
1 | ब्रह्म पुराण | Brahma Purana |
2 | पद्म पुराण | Padma Purana |
3 | विष्णु पुराण | Vishnu Purana |
4 | शिव पुराण | Shiva Purana |
5 | भागवत पुराण | Bhagavata Purana |
6 | नारद पुराण | Narada Purana |
7 | मार्कण्डेय पुराण | Markandeya Purana |
8 | अग्नि पुराण | Agni Purana |
9 | भविष्य पुराण | Bhavishya Purana |
10 | ब्रह्मवैवर्त पुराण | Brahmavaivarta Purana |
11 | लिंग पुराण | Linga Purana |
12 | वराह पुराण | Varaha Purana |
13 | स्कन्द पुराण | Skanda Purana |
14 | वामन पुराण | Vamana Purana |
15 | कूर्म पुराण | Kurma Purana |
16 | मत्स्य पुराण | Matsya Purana |
17 | गरुड़ पुराण | Garuda Purana |
18 | ब्रह्माण्ड पुराण | Brahmanda Purana |
🔹 महापुराण और उपपुराण
- इन 18 पुराणों को महापुराण कहा जाता है।
- इसके अलावा लगभग 18 उपपुराण भी माने जाते हैं, जिनमें कथा और इतिहास का संक्षिप्त रूप मिलता है।
- पुराणों में भक्ति, ज्ञान, धर्म और नीति सबकुछ सम्मिलित है।
🔹 पुराणों का महत्व (Importance of Puranas)
- पुराणों ने आम जनता को धर्म और अध्यात्म से जोड़ा।
- इनमें भक्ति आंदोलन और भगवान की कथाओं का आधार है।
- भागवत पुराण में भगवान श्रीकृष्ण की बाल–लीलाओं का वर्णन है।
- गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद की स्थिति और यमलोक का वर्णन करता है।
- स्कन्द पुराण सबसे बड़ा पुराण है।
🔹 रोचक तथ्य (Interesting Facts)
- पुराणों को “इतिहास + धर्मशास्त्र + नीति शास्त्र” कहा जाता है।
- इनमें भूगोल और खगोल विज्ञान के भी उल्लेख हैं।
- हर पुराण में पंचलक्षण (सृष्टि, प्रलय, वंशावली, मन्वंतर और वंशकथा) का वर्णन होता है।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
अठारह पुराण सनातन धर्म के सबसे सरल और लोकप्रिय ग्रंथ हैं। इनमें कथा, भक्ति, नीति, इतिहास और अध्यात्म का सुंदर समन्वय है। इन्हें समझना धर्म के सार को समझने जैसा है।
✨ “पुराण वह दर्पण हैं जिनमें धर्म, नीति और इतिहास का सम्मिश्रण दिखाई देता है।” ✨
📌 Disclaimer: यह जानकारी प्राचीन ग्रंथों महापुराण और उपपुराण तथा विद्वानों की व्याख्या पर आधारित है।