🐒 श्री हनुमान जी की दिव्य कथा 🕉️

“राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥”
— श्री हनुमान चालीसा

🙏 परिचय (Introduction)

श्री हनुमान जी सनातन धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। वे न केवल प्रभु श्रीराम के परम भक्त और दूत थे, बल्कि शक्ति, पराक्रम, ज्ञान और भक्ति के अद्वितीय प्रतीक हैं। इन्हें पवनपुत्र, अंजनीसुत, केसरीनंदन, बजरंगबली और संकटमोचक जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। कहा जाता है कि कलियुग में हनुमान जी आज भी जीवित हैं और अपने सच्चे भक्तों की रक्षा करते हैं।

🌸 जन्म कथा (Birth of Hanuman)

हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग में हुआ। उनकी माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसरी था। कथा के अनुसार अंजना एक अप्सरा थीं जो शापवश वानरी बनीं। उन्होंने कठोर तपस्या कर भगवान शिव की आराधना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे उनके अंश से एक पुत्र को जन्म देंगी।

उसी समय दशरथ राजा ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया था। यज्ञ से प्राप्त दिव्य खीर का एक अंश पवनदेव के द्वारा अंजना को प्राप्त हुआ। परिणामस्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ। इसीलिए उन्हें “पवनपुत्र” और “अंजनीपुत्र” कहा जाता है। जन्म के समय ही उनका शरीर दिव्य आभा और अद्वितीय बल से परिपूर्ण था।

🌼 बाल्यकाल की लीलाएँ (Childhood Plays)

बचपन में हनुमान जी अत्यंत चंचल और खेलप्रिय थे। एक दिन उन्होंने आकाश में चमकते हुए सूर्य को फल समझ लिया और उसे पकड़ने के लिए आकाश में उड़ चले। सूर्य को निगल जाने से सम्पूर्ण जगत अंधकारमय हो गया। देवता घबरा गए और इन्द्रदेव ने अपने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया। इस आघात से वे बेहोश हो गए और उनके गाल पर चोट आई, तभी से उनका नाम “हनुमान” पड़ा (संस्कृत में हनु = गाल)।

पवनदेव अपने पुत्र की पीड़ा से क्रोधित हो गए और उन्होंने संसार से वायु प्रवाह रोक लिया। सभी प्राणी कष्ट पाने लगे। तब ब्रह्मा, विष्णु, शिव और अन्य देवताओं ने आकर हनुमान जी को दिव्य वरदान दिए। उन्हें अपार बल, बुद्धि, वरदानी शक्तियाँ और अमरत्व प्रदान किया गया। तभी से हनुमान जी को देवताओं का प्रिय और संकटमोचक माना जाने लगा।

📖 शिक्षा और ज्ञान (Education and Wisdom)

हनुमान जी ने ज्ञान प्राप्त करने के लिए सूर्यदेव को गुरु बनाया। वे प्रतिदिन आकाश में सूर्य के साथ-साथ चलते हुए उनसे वेद, वेदांग, आयुर्वेद, व्याकरण, संगीत और शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त करते थे। सूर्यदेव उनकी लगन और भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें विद्या में पारंगत कर दिया।

कहा जाता है कि हनुमान जी इतने विद्वान थे कि शास्त्रार्थ में वे महान ऋषियों को भी पराजित कर सकते थे। लेकिन अपनी विनम्रता और सेवाभाव के कारण उन्होंने सदैव स्वयं को प्रभु राम का दास ही माना। यही कारण है कि वे आज भी विनम्रता और भक्ति के सर्वोच्च प्रतीक माने जाते हैं।

🌺 श्रीराम से भेंट (Meeting Lord Rama)

जब रावण ने सीता माता का अपहरण किया, तब राम और लक्ष्मण वन-वन उनकी खोज में भटक रहे थे। उसी समय उनकी भेंट हनुमान जी से हुई। पहली ही भेंट में हनुमान जी ने अपने हृदय में श्रीराम को पहचान लिया। उन्होंने विनम्रता पूर्वक उनकी सेवा करने का वचन दिया और आजीवन उनके परम भक्त बन गए।

इस भेंट ने हनुमान जी के जीवन को नया मोड़ दिया। वे न केवल रामभक्त बने, बल्कि प्रभु के दूत, सहयोगी और सबसे बड़े सेवक भी बने। यही कारण है कि उन्हें “रामदूत” कहा जाता है।

🌹 सीता माता की खोज (Search for Sita)

सुग्रीव के आदेश पर हनुमान जी ने समुद्र लांघकर लंका की ओर प्रस्थान किया। विशाल समुद्र को लांघते समय उन्होंने कई अद्भुत कारनामे किए, जैसे सुरसा, सिंहिका जैसी राक्षसियों का पराभव। अंततः वे लंका पहुँचे और अशोक वाटिका में सीता माता को पाया।

उन्होंने सीता माता को श्रीराम की अंगूठी देकर उनका संदेश सुनाया। सीता माता ने भी अपनी चूड़ामणि उन्हें दी ताकि राम को प्रमाण मिल सके। इसके बाद हनुमान जी ने लंका में रावण को चेताया और अपनी पूंछ में आग लगाकर पूरी लंका को जला डाला। यह घटना हनुमान जी की वीरता और रामभक्ति का अद्वितीय उदाहरण है।

⚔️ लंका युद्ध और संजीवनी (War of Lanka and Sanjeevani)

लंका के युद्ध में हनुमान जी ने अद्वितीय पराक्रम दिखाया। वे सेना के लिए शक्ति और साहस का स्रोत बने। जब मेघनाद के बाण से लक्ष्मण गंभीर रूप से घायल हुए, तब हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने हिमालय पहुँचे।

वे सही जड़ी-बूटी पहचान नहीं पाए, इसलिए उन्होंने पूरा पर्वत ही उठा लिया और लक्ष्मण को जीवित किया। यह कथा दर्शाती है कि संकट की घड़ी में हनुमान जी असंभव को भी संभव बना देते हैं। युद्ध के अंत में श्रीराम की विजय हुई और इसमें हनुमान जी की भूमिका सर्वोपरि रही।

🌟 अमरत्व और महिमा (Immortality and Glory)

युद्ध के बाद देवताओं ने हनुमान जी को अमरत्व का वरदान दिया। कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और कलियुग में सच्चे भक्त की पुकार पर अवश्य आते हैं। उनकी पूजा से भय, रोग, शत्रु और पाप दूर होते हैं। मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों को हर संकट से मुक्ति दिलाते हैं। उनकी भक्ति हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्रेम और निःस्वार्थ सेवा ही ईश्वर तक पहुँचने का सबसे सरल मार्ग है।

🌼 निष्कर्ष (Conclusion)

श्री हनुमान जी की कथा हमें धर्म, भक्ति, विनम्रता और सेवा की सीख देती है। वे केवल रामभक्त ही नहीं बल्कि शक्ति और पराक्रम के भी अधिष्ठाता हैं। उनका नाम स्मरण करने मात्र से भय और बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

🙏 जय श्रीराम · जय बजरंगबली 🙏

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *