Category: Hindu

यदुवंश का विनाश ( Mausala Parv)

🕉️ महाभारत के अनुसार यदुवंश का विनाश (Mausala Parva) कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों का नाश हो गया। गांधारी ने दुःखी होकर श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस प्रकार उसने उसके…

“महाभारत कथा – सम्पूर्ण 25 भागों की सूची”

📖 महाभारत कथा – सम्पूर्ण 25 भाग महाभारत केवल युद्ध कथा नहीं, बल्कि धर्म, नीति, कर्म और जीवन का महाग्रंथ है। यहाँ इसे 25 भागों में सरल हिंदी में प्रस्तुत…

महाभारत भाग 25 : महाभारत का उपसंहार और शिक्षा

महाभारत का अंत कुरुक्षेत्र के 18 दिन चले युद्ध और उसके बाद के प्रसंगों के साथ महाभारत की कथा समाप्त होती है। इस प्रकार महाभारत केवल एक युद्धकथा नहीं, बल्कि…

महाभारत भाग 24 : श्रीकृष्ण का प्रस्थान और यदुवंश का अंत

युद्धोपरांत द्वारका महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने धर्मराज्य स्थापित किया।लेकिन धीरे-धीरे द्वारका में यदुवंशियों के बीच कलह और अहंकार बढ़ने लगा।श्रीकृष्ण जानते थे कि यह यदुवंश स्वयं अपने विनाश…

महाभारत भाग 23 : पांडवों का स्वर्गारोहण

युद्ध के बाद का जीवन महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने धर्मपूर्वक राज्य किया।युधिष्ठिर का राज्यकाल लंबा और सुख-शांति से भरा हुआ था, लेकिन युद्ध की पीड़ा और अपनों की…

महाभारत भाग 22 : पांडवों का उत्तर जीवन और परीक्षित का जन्म

युद्धोपरांत पीड़ा कौरवों के संहार के बाद भले ही पांडव विजयी हुए, लेकिन उनका मन शोक और पश्चाताप से भरा था।उन्होंने अपने परिजनों, गुरुजनों और पुत्रों को खो दिया था।युधिष्ठिर…

महाभारत भाग 21 : पांडवों का राज्याभिषेक और शांतिपर्व

युद्ध का अंत अठारह दिन चले भीषण कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद कौरवों का संपूर्ण विनाश हो चुका था।सिर्फ कुछ ही योद्धा बचे थे – अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा।👉 पांडव विजयी…

महाभारत भाग 20 : अश्वत्थामा का प्रतिशोध – उपपांडवों की हत्या

दुर्योधन की अंतिम घड़ियाँ दुर्योधन जंघा टूटने के बाद मृत्युशय्या पर पड़ा था।वह अत्यंत पीड़ा में था और जानता था कि अब कौरवों की हार निश्चित है।अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा…

महाभारत भाग 19 : शल्य पर्व – दुर्योधन का वध

शल्य का नेतृत्व कर्ण की मृत्यु के बाद कौरव सेना का नेतृत्व मद्रदेश के राजा शल्य ने संभाला।शल्य स्वयं महान रथी थे, लेकिन मन से पांडवों के पक्षधर थे।कौरवों का…

महाभारत भाग 18 : कर्ण पर्व – कर्ण की वीरगति

कर्ण का नेतृत्व द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद कौरव सेना का नेतृत्व कर्ण ने संभाला।वह दुर्योधन का सबसे प्रिय मित्र और सेनापति बना।कर्ण अत्यंत पराक्रमी और दानवीर था, लेकिन उसके…

महाभारत भाग 17 : जयद्रथ वध और कर्ण–अर्जुन युद्ध

अर्जुन की प्रतिज्ञा अभिमन्यु के वध के बाद अर्जुन शोक और क्रोध से भर गए।उन्होंने शपथ ली –👉 “यदि मैं कल सूर्यास्त से पहले जयद्रथ का वध न कर पाया,…

महाभारत भाग 16 : द्रोण पर्व – अभिमन्यु वध और द्रोणाचार्य की मृत्यु

द्रोणाचार्य का नेतृत्व भीष्म पितामह के शर-शैया पर जाने के बाद कौरव सेना का नेतृत्व द्रोणाचार्य ने संभाला।उनके नेतृत्व में कौरवों ने पांडवों पर भीषण आक्रमण किया।द्रोणाचार्य अपराजेय प्रतीत हो…

महाभारत भाग 15 : भीष्म पर्व – भीष्म पितामह का शयन

भीष्म पितामह का नेतृत्व कुरुक्षेत्र युद्ध के आरंभिक दस दिनों तक कौरव सेना का नेतृत्व भीष्म पितामह ने किया।उनकी अपार शक्ति और अनुभव के सामने पांडव बार-बार परास्त होते रहे।भीष्म…

महाभारत भाग 14 : कुरुक्षेत्र युद्ध का आरंभ और गीता उपदेश

युद्धभूमि की तैयारी दोनों पक्ष कुरुक्षेत्र के मैदान में आमने-सामने आ खड़े हुए। धृतराष्ट्र ने संजय से युद्ध का वर्णन सुनने का आदेश दिया।👉 यही संवाद भगवद्गीता का आधार बना।…

महाभारत भाग 12 : अज्ञातवास और विराट युद्ध

अज्ञातवास की शर्त 13 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद पांडवों को 1 वर्ष का अज्ञातवास (गुप्तवास) करना था।👉 नियम यह था कि यदि उस वर्ष में उनकी पहचान…

महाभारत भाग 11 : वनवास की शुरुआत – कीचक वध और अर्जुन का दिव्यास्त्र प्राप्त करना

वनवास की शुरुआत जुए के खेल और द्रौपदी के अपमान के बाद पांडवों को 13 वर्ष का वनवास और फिर 1 वर्ष का अज्ञातवास भुगतना पड़ा।पांडव अपनी माता कुंती और…

महाभारत भाग 10 : जुए का खेल और द्रौपदी चीरहरण

दुर्योधन की योजना राजसूय यज्ञ के बाद दुर्योधन अपमानित और प्रतिशोध की आग में जल रहा था।उसने अपने मामा शकुनि के साथ मिलकर पांडवों को नष्ट करने की योजना बनाई।शकुनि…

महाभारत भाग 9 : राजसूय यज्ञ और दुर्योधन का अपमान

युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ इंद्रप्रस्थ नगरी के समृद्ध होने के बाद युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ करने का संकल्प लिया।राजसूय यज्ञ का उद्देश्य था —👉 “सभी राजाओं को अपनी अधीनता स्वीकार…

महाभारत भाग 8 : खांडवप्रस्थ से इंद्रप्रस्थ – पांडवों का राज्याभिषेक

द्रौपदी विवाह के बाद द्रौपदी के स्वयंवर के बाद पांडवों की पहचान खुल गई।भीष्म पितामह और धृतराष्ट्र ने पांडवों को हस्तिनापुर वापस बुलाया।वहाँ सबने उनका आदर किया, लेकिन दुर्योधन को…

महाभारत भाग 7 : द्रौपदी स्वयंवर – अर्जुन का विजय

पंचाल देश और द्रुपद राजा द्रुपद, जिनसे द्रोणाचार्य ने अपना आधा राज्य ले लिया था, आगे चलकर उनके शत्रु बन गए।उनकी पुत्री का नाम था द्रौपदी, जो अत्यंत रूपवती और…

महाभारत भाग 6 : लाक्षागृह की घटना – पांडवों का बच निकलना

कौरवों की ईर्ष्या जैसे-जैसे पांडवों की लोकप्रियता बढ़ती गई, दुर्योधन और कौरवों की ईर्ष्या भी बढ़ती गई।भीम की शक्ति, अर्जुन की धनुर्विद्या और युधिष्ठिर का धर्मप्रिय स्वभाव लोगों को पांडवों…

महाभारत भाग 5 : द्रोणाचार्य और शस्त्रविद्या – अर्जुन का श्रेष्ठ धनुर्धर बनना

द्रोणाचार्य का हस्तिनापुर आगमन हस्तिनापुर में जब कौरव और पांडव बड़े हुए तो भीष्म पितामह ने उनके लिए एक श्रेष्ठ गुरु की तलाश की।वे द्रोणाचार्य को लेकर आए, जो महान…

महाभारत भाग 4 : कौरव और पांडव का जन्म और बाल्यकाल

धृतराष्ट्र और गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के युवराज धृतराष्ट्र ने गांधारी से विवाह किया।गांधारी अत्यंत पतिव्रता स्त्री थीं। जब उन्हें पता चला कि उनके पति जन्म से नेत्रहीन हैं, तो…

महाभारत भाग 3 : विचित्रवीर्य, व्यास और धृतराष्ट्र–पांडु का जन्म

भीष्म पितामह और हस्तिनापुर की गद्दी भीष्म पितामह ने प्रतिज्ञा ली थी कि वे विवाह नहीं करेंगे और हस्तिनापुर की गद्दी पर केवल सत्यवती के पुत्र ही बैठेंगे।राजा शांतनु और…

महाभारत भाग 2 : राजा शांतनु और गंगा की कथा – भीष्म पितामह का जन्म

राजा शांतनु और गंगा हस्तिनापुर के राजा शांतनु न्यायप्रिय और वीर शासक थे। एक दिन वे गंगा नदी के तट पर गए तो उन्होंने वहाँ अपूर्व रूपवती स्त्री देखी। वह…

महाभारत ( Mahabharat )

महाभारत भाग 1 : परिचय और महत्व – सम्पूर्ण कथा की शुरुआत महाभारत क्या है? महाभारत केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह इतिहास है। इसे “पंचम वेद” कहा जाता…

हनुमान आरती (Hanuman Aarti)

हनुमान आरती (Hanuman Aarti) श्री हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाली श्री हनुमान आरती है। ॥ श्री…

श्री जानकीनाथ जी की आरती (Shri Jankinatha Ji Ki Aarti)

श्री जानकीनाथ जी की आरती (Shri Jankinatha Ji Ki Aarti) ॐ जय जानकीनाथा,जय श्री रघुनाथा ।दोउ कर जोरें बिनवौं,प्रभु! सुनिये बाता ॥ ॐ जय..॥ तुम रघुनाथ हमारे,प्राण पिता माता ।तुम…

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Aarti: Om Jai Jagdish Hare)

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Aarti: Om Jai Jagdish Hare) दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी।…

लक्ष्मीजी आरती (Laxmi Mata Aarti)

लक्ष्मीजी आरती (Laxmi Mata Aarti) भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी का आह्वान भक्तजन साप्ताहिक दिन शुक्रवार, गुरुवार, वैभव लक्ष्मी व्रत तथा दीपावली में लक्ष्मी पूजन के दिन मुख्यतया अधिक…

श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti)

श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti) जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥ एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी ।माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥ जय गणेश…

शिव आरती – ॐ जय शिव ओंकारा (Shiv Aarti – Om Jai Shiv Omkara)

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा ॥ॐ जय शिव ओंकारा…॥ एकानन चतुराननपंचानन राजे ।हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे ॥ॐ जय शिव ओंकारा…॥ दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे…

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Aarti: Om Jai Jagdish Hare)

दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी। यह आरती मूलतः भगवान विष्णु को समर्पित है ॐ जय…

All 18 Maha Puranas in English (PDF)

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श्री हरसुब्रह्म चालीसा ( Shree Harshubrahm Chalisa )

Download Free PDF Harshubrham Chalisa=> श्री हरसुब्रह्म चालीसा दोहा:-बाबा हरसू ब्रह्म के, चरणों का करि ध्यान।चालीसा प्रस्तुत करूँ, पावन यश गुण गान।। चालीसा हरसू ब्रह्म रूप अवतारी।जेहि पूजत नित नर…

शकुनि का इतिहास (History of Shakuni)

शकुनि (संस्कृत: शकुनि, आईएएसटी: शकुनि, शाब्दिक रूप से ‘पक्षी’) हिंदू महाकाव्य महाभारत के विरोधियों में से एक है। परिचय के समय वह गांधार राज्य के राजकुमार थे, बाद में अपने…

Devguru Brihaspati-Guru of the Hindu Gods(देवगुरु बृहस्पति – हिंदू देवताओं के गुरु)

गुरु बृहस्पति या ब्राह्मणस्पति – प्रार्थना, भक्ति, या पवित्र भाषण के स्वामी – एक वैदिक ऋषि हैं और उन्हें अक्सर सभी देवताओं के शिक्षक और सलाहकार के रूप में उल्लेख…

भारद्वाज ऋषि का जीवन परिचय | Biography of “Bharadwaj Rishi” in hindi

वैदिक ऋषियों में भारद्वाज ऋषि (bhardwaj rishi) का उच्च स्थान है। अंगिरावंशी भारद्वाज के पिता बृहस्पति और माता ममता थीं। Bhardwaj Rishi ka Jivan Parichay: भारद्वाज ऋषि प्राचीन भारतीय ऋषि…

रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स (Lyrics ) और अर्थ

इस लेख में सद्‌गुरु शिव के महान भक्त रावण की एक कहानी सुना रहे हैं कि आखिर क्यों शिव ने उन्हें कैलाश के शिखर से नीचे गिरा दिया । भगवान…

The story of Duryodhana,(दुर्योधन कौन था, दुर्योधन का जीवन परिचय)

हिंदू महाकाव्य महाभारत में, दुर्योधन (दुर्योधन) रानी गांधारी के अंधे राजा धृतराष्ट्र का सबसे बड़ा पुत्र है, एक सौ कौरव भाइयों में सबसे बड़ा और पांडवों का मुख्य प्रतिद्वंद्वी है।…

Who is Ashwathama? why Ashwathama kills Pandvas son? & why Ashwathama was cursed by Lord Krishna? Is he still alive? The Death of Dronacharya(अश्वत्थामा कौन था? अश्वत्थामा ने पांडवों के बालक को क्यों मारा? और अश्वत्थामा को भगवान कृष्ण ने श्राप क्यों दिया था? क्या वह अभी भी जिंदा है? द्रोणाचार्य की मृत्यु कैसे हुई?)

Introduction In the rich tapestry of Hindu mythology and ancient epics, there are figures that stand out like stars against the night sky. Among these, Ashwathama, a character from the…

आखिर क्यों गंगा जी ने अपने 7 पुत्रो को गंगा मे बहा दिये।

इसलिए गंगा ने बहाए थे सातों पुत्र: एक बार ‘द्यु’ नामक वसु ने वशिष्ठ ऋषि की कामधेनु का हरण कर लिया। इससे वशिष्ठ ऋषि ने द्यु से कहा कि ऐसा…

महाराज शांतनु कौन थे ।

राजा शांतनु महाभारत के एक प्रमुख पात्र थे। वे ब्रह्मदेव के श्राप के कारण पृथ्वी पर शांतनु के रूप में जन्म लिए। वे हस्तिनापुर नरेश प्रतीप के पुत्र थे राजा…