India’s Public Debt (भारत पर कितना कर्ज़ है? 2014–2025 की पूरी सच्चाई
🔰 परिचय (Introduction)
भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। लेकिन हर विकासशील देश की तरह भारत को भी अपने विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कर्ज़ की आवश्यकता होती है।
अक्सर सोशल मीडिया या राजनीतिक बहसों में यह कहा जाता है — “मोदी सरकार आने के बाद भारत पर कर्ज़ कई गुना बढ़ गया।” यह दावा सुनने में गंभीर लगता है, लेकिन क्या यह पूरी सच्चाई है? क्या वास्तव में देश की वित्तीय स्थिति इतनी कमजोर है कि यह कर्ज़ के बोझ में दब गया है? या फिर यह विकास और निवेश की दिशा में उठाया गया कदम है?
इस विस्तृत रिपोर्ट में हम 2014 से 2025 तक भारत के कर्ज़ का पूरा विश्लेषण करेंगे — कर्ज़ की कुल राशि, GDP अनुपात, विदेशी कर्ज़, ब्याज बोझ, और अंतरराष्ट्रीय तुलना के साथ।
🧱 Public Debt क्या होता है (What is Public Debt)
सरकार जब अपने खर्च पूरे करने के लिए उधार लेती है, तो उस उधार को “Public Debt” कहा जाता है।
यह दो प्रकार का होता है 👇
1️⃣ आंतरिक कर्ज़ (Internal Debt) –
जो सरकार देश के भीतर से लेती है, जैसे सरकारी बॉन्ड, रिज़र्व बैंक, ट्रेज़री बिल आदि।
2️⃣ बाहरी कर्ज़ (External Debt) –
जो सरकार विदेशी संस्थाओं, बैंकों या देशों से विदेशी मुद्रा (जैसे डॉलर) में लेती है।
📊 भारत की अच्छी बात यह है कि लगभग 90% कर्ज़ घरेलू (रुपये में) है।
इससे विदेशी मुद्रा का जोखिम कम रहता है और भारत अपनी नीतियों पर नियंत्रण बनाए रखता है।
🧮 भारत का कुल कर्ज़ कितना है (India’s Total Debt 2025)
वित्त वर्ष 2025 तक भारत पर कुल सरकारी कर्ज़ लगभग ₹185 लाख करोड़ से ₹200 लाख करोड़ है।
इसमें केंद्र सरकार और राज्यों का कर्ज़ दोनों शामिल हैं।
देश की कुल GDP 2025 में लगभग ₹290 लाख करोड़ आँकी गई है।
इस हिसाब से भारत का Debt-to-GDP Ratio लगभग 81% है।
📌 इसका मतलब —
भारत की कुल आर्थिक क्षमता के मुकाबले देश पर कर्ज़ का स्तर संतुलित और सुरक्षित है।
📊 2014 से 2025 तक का कर्ज़ ट्रेंड (Debt Trend 2014–2025)
| वर्ष | कुल सरकारी कर्ज़ (₹ लाख करोड़) | GDP (₹ लाख करोड़) | Debt-to-GDP (%) |
|---|---|---|---|
| 2014 | 55 | 125 | 44% |
| 2016 | 65 | 150 | 43% |
| 2019 | 85 | 190 | 45% |
| 2021 | 135 | 200 | 67% |
| 2023 | 165 | 255 | 64% |
| 2025 | 185–200 | 290 | 81% |
📈 2014 से 2025 के बीच कर्ज़ में बढ़ोतरी हुई है,
लेकिन GDP भी लगभग ढाई गुना बढ़ी है।
👉 यानी कर्ज़ का अनुपात नियंत्रित है, और यह भारत की आर्थिक वृद्धि का संकेत देता है, न कि कमजोरी का।
💡 Debt-to-GDP Ratio क्या बताता है?
Debt-to-GDP Ratio यह दर्शाता है कि किसी देश पर कर्ज़ उसकी आर्थिक क्षमता के अनुपात में कितना है।
अगर यह अनुपात 60–90% के बीच है तो स्थिति सामान्य मानी जाती है।
अगर 100% से ऊपर हो जाए तो चिंता की बात होती है।
📊 भारत का अनुपात 81% है,
जो जापान (260%), अमेरिका (120%), और फ्रांस (111%) से कहीं बेहतर है।
💵 भारत का विदेशी कर्ज़ (India’s External Debt)
भारत का विदेशी कर्ज़ यानी External Debt मार्च 2025 तक लगभग USD 740 अरब डॉलर रहा।
यह भारत की GDP का केवल 19% है।
भारत के पास लगभग USD 700 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) है।
इसका मतलब यह है कि भारत अपने लगभग 95% विदेशी कर्ज़ को तुरंत चुका सकता है।
👉 इसलिए भारत का बाहरी कर्ज़ सुरक्षित सीमा में है और विदेशी संकट का कोई खतरा नहीं है।
🧾 ब्याज बोझ (Interest Burden)
भारत सरकार हर साल अपने बजट का लगभग 25% हिस्सा ब्याज भुगतान में खर्च करती है।
राजस्व प्राप्तियों का लगभग 35–37% ब्याज चुकाने में जाता है।
📌 यह दिखाता है कि ब्याज बोझ ऊँचा जरूर है, लेकिन यह नियंत्रण में है।
सरकार ने राजस्व बढ़ाने और घाटा घटाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
⚙️ कर्ज़ बढ़ने के मुख्य कारण (Reasons Behind Increase in Debt)
1️⃣ COVID-19 महामारी:
राहत पैकेज, वैक्सीन, स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी खर्च।
2️⃣ इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट:
सड़कों, रेल, रक्षा, और डिजिटल इंडिया मिशन पर पूंजीगत व्यय में वृद्धि।
3️⃣ आत्मनिर्भर भारत योजना:
MSME, स्टार्टअप्स, और PLI स्कीम में निवेश बढ़ाया गया।
4️⃣ वैश्विक आर्थिक दबाव:
तेल की कीमतें, महंगाई, और वैश्विक मंदी ने राजकोषीय स्थिति पर प्रभाव डाला।
👉 कर्ज़ बढ़ा, लेकिन इसका उद्देश्य विकास और निवेश रहा है, न कि उपभोग खर्च।
🌍 भारत बनाम अन्य देश (India vs Other Major Economies)
| देश | Debt-to-GDP (%) | स्थिति |
|---|---|---|
| 🇯🇵 जापान | 260% | अत्यधिक लेकिन घरेलू |
| 🇺🇸 अमेरिका | 120% | उच्च |
| 🇫🇷 फ्रांस | 111% | यूरोप में ऊँचा |
| 🇬🇧 ब्रिटेन | 105% | मुद्रास्फीति का दबाव |
| 🇮🇹 इटली | 142% | अस्थिर स्थिति |
| 🇨🇳 चीन | 78% | स्थिर |
| 🇮🇳 भारत | 81% | सुरक्षित और टिकाऊ |
| 🇩🇪 जर्मनी | 65% | अनुशासित |
📊 स्पष्ट रूप से भारत का कर्ज़ अनुपात मध्यम और सुरक्षित श्रेणी में है।
भारत उन देशों में आता है जो अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के अनुसार जिम्मेदार उधारी नीति अपनाते हैं।
📈 Fiscal Deficit और नीति (Fiscal Policy & Deficit)
भारत का Fiscal Deficit (राजकोषीय घाटा) 2021 में 9.5% था।
लेकिन 2025 में यह घटकर 5.1% रह गया है।
सरकार का लक्ष्य 2026 तक इसे 4.5% से नीचे लाना है।
📌 यह दिखाता है कि सरकार धीरे-धीरे राजकोषीय अनुशासन (Fiscal Discipline) की ओर बढ़ रही है।
🧠 क्या भारत का कर्ज़ खतरनाक है? (Is India’s Debt Dangerous)
भारत का कर्ज़ खतरनाक नहीं है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टि से सस्टेनेबल है।
✔️ भारत का अधिकांश कर्ज़ घरेलू निवेशकों के पास है।
✔️ देश की Nominal GDP Growth Rate ब्याज दर से अधिक है।
✔️ विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत है।
✔️ सरकार की उधारी “Capital Expenditure” में जा रही है, जो भविष्य की कमाई लाएगी।
📈 यानी भारत का कर्ज़ बोझ नहीं, बल्कि विकास का साधन है।
🧩 भारत का कर्ज़ अन्य देशों की तुलना में कैसा है?
| देश | Debt-to-GDP (%) | स्थिति |
|---|---|---|
| जापान | 260% | आर्थिक रूप से सक्षम |
| अमेरिका | 120% | कर्ज़ पर निर्भर अर्थव्यवस्था |
| फ्रांस | 111% | उच्च खर्च वाला मॉडल |
| भारत | 81% | विकासशील लेकिन स्थिर |
| चीन | 78% | स्थिर वृद्धि दर |
| जर्मनी | 65% | अनुशासित राजकोषीय नीति |
📊 भारत का Debt-to-GDP अनुपात वैश्विक औसत से बेहतर है।
भारत अभी भी उधारी के लिहाज से सुरक्षित देशों की श्रेणी में आता है।
🧾 क्या मोदी सरकार में कर्ज़ बढ़ा? (Fact Check)
हां, कर्ज़ की राशि में वृद्धि हुई है।
लेकिन देश की GDP और संपत्ति निर्माण भी उसी गति से बढ़े हैं।
2014 में भारत पर ₹55 लाख करोड़ कर्ज़ था,
अब यह लगभग ₹185 लाख करोड़ है।
परंतु GDP भी ₹125 लाख करोड़ से बढ़कर ₹290 लाख करोड़ हो चुकी है।
यानी कर्ज़ अनुपात पहले जैसा ही नियंत्रित है।
इसलिए कहना कि “भारत डूब गया” या “कर्ज़ बेकाबू हो गया” — आधा सच और भ्रामक है।
⚙️ सरकार की भविष्य की रणनीति (Government’s Future Strategy)
1️⃣ Debt-to-GDP Ratio को 75% तक लाने का लक्ष्य।
2️⃣ Fiscal Deficit को 2026 तक 4.5% से नीचे करना।
3️⃣ पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) को प्राथमिकता देना।
4️⃣ निजी निवेश और विदेशी निवेश को बढ़ावा देना।
5️⃣ राजस्व वृद्धि से ब्याज भुगतान पर नियंत्रण।
👉 सरकार का उद्देश्य है कि कर्ज़ विकास का साधन बने, बोझ नहीं।
🧩 कर्ज़ से जुड़े भ्रम (Common Myths about Debt)
❌ “भारत पर बहुत ज्यादा कर्ज़ है।”
➡️ गलत। अनुपात 81% है, जो वैश्विक मानकों के अनुसार सामान्य है।
❌ “कर्ज़ विदेशी संस्थाओं से लिया गया है।”
➡️ नहीं, 90% कर्ज़ घरेलू है।
❌ “देश दिवालिया हो जाएगा।”
➡️ बिल्कुल नहीं। भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है।
❌ “कर्ज़ हमेशा नुकसान देता है।”
➡️ नहीं, यदि इसका उपयोग निवेश में हो तो यह भविष्य में लाभ देता है।
📘 मुख्य निष्कर्ष (Key Takeaways)
✅ कुल कर्ज़ (2025): ₹185–200 लाख करोड़
✅ Debt-to-GDP Ratio: 81%
✅ विदेशी कर्ज़: GDP का 19%
✅ Forex Reserve: $700 अरब
✅ ब्याज भुगतान: राजस्व का 35%
✅ स्थिति: स्थिर और टिकाऊ
✅ लक्ष्य: Debt Ratio को 75% तक लाना
🧾 संक्षिप्त निष्कर्ष (Summary)
भारत का कर्ज़ एक नियंत्रित वित्तीय स्थिति में है। कर्ज़ का बड़ा हिस्सा घरेलू है और इसका उपयोग उत्पादक क्षेत्रों में किया जा रहा है।
GDP में वृद्धि, निवेश, और फिस्कल अनुशासन के कारण भारत पर कर्ज़ विकास का इंजन बना हुआ है।
💬 Frequently Asked Questions (FAQ)
🟢 1. भारत पर 2025 में कुल कितना कर्ज़ है?
साल 2025 में भारत पर कुल सरकारी कर्ज़ लगभग ₹185 लाख करोड़ से ₹200 लाख करोड़ है।
इसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों का कर्ज़ शामिल है।
🟢 2. भारत का Debt-to-GDP Ratio 2025 में कितना है?
2025 में भारत का Debt-to-GDP अनुपात लगभग 80% है,
जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुरक्षित और सस्टेनेबल श्रेणी में आता है।
🟢 3. क्या भारत का कर्ज़ बहुत बढ़ गया है?
कर्ज़ राशि में वृद्धि हुई है, लेकिन GDP भी उसी अनुपात में बढ़ी है।
इसलिए भारत का कर्ज़ “बोझ” नहीं, बल्कि विकास के लिए लिया गया निवेश है।
🟢 4. भारत का बाहरी कर्ज़ (External Debt) कितना है?
भारत का बाहरी कर्ज़ मार्च 2025 तक USD 740 अरब डॉलर है,
जो देश की GDP का लगभग 19.1% है।
🟢 5. क्या भारत का विदेशी कर्ज़ खतरनाक है?
नहीं, क्योंकि भारत के पास USD 698 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है,
जो बाहरी कर्ज़ का लगभग 95% कवर करता है।
🟢 6. क्या मोदी सरकार आने के बाद कर्ज़ बढ़ा?
हां, राशि में कर्ज़ बढ़ा है लेकिन यह GDP और निवेश के अनुपात में संतुलित है।
महामारी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के कारण यह बढ़ोतरी स्वाभाविक थी।
🟢 7. भारत का कर्ज़ किन कामों में लगाया गया?
भारत सरकार ने कर्ज़ का बड़ा हिस्सा इंफ्रास्ट्रक्चर, रक्षा, रेल, सड़क, डिजिटल नेटवर्क और उद्योग में लगाया है,
जो दीर्घकालिक आर्थिक लाभ देता है।
🟢 8. भारत का कर्ज़ अन्य देशों से तुलना में कैसा है?
भारत का Debt-to-GDP अनुपात लगभग 80% है,
जबकि जापान 260%, अमेरिका 120%, और फ्रांस 111% पर है।
इसलिए भारत का कर्ज़ वैश्विक औसत से काफी कम है।
🟢 9. क्या भारत कर्ज़ चुका सकता है?
हां, भारत की GDP, राजस्व और विदेशी भंडार पर्याप्त हैं।
देश की उधारी और भुगतान क्षमता दोनों मजबूत हैं।
🟢 10. क्या आने वाले वर्षों में भारत का कर्ज़ घटेगा?
सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक Fiscal Deficit 4.5% से नीचे और
Debt-to-GDP अनुपात 75% तक लाया जाए।
तेज़ आर्थिक वृद्धि से यह लक्ष्य संभव है।
⚠️ Disclaimer (अस्वीकरण)
यह लेख केवल जानकारी और शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है। यह किसी राजनीतिक राय या निवेश सलाह का प्रतिनिधित्व नहीं करता। सभी आंकड़े 2025 तक के सरकारी एवं आर्थिक अनुमानों पर आधारित हैं।
🔥 Final Thought:
भारत पर कर्ज़ ज़रूर है, पर यह किसी संकट का संकेत नहीं है।
यह कर्ज़ उस दिशा में लिया गया निवेश है जो देश को आत्मनिर्भर और विकसित भारत की ओर ले जा रहा है। 🇮🇳